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‘उत्तर-भारत में ठण्ड का कहर ‘ ‘उफ़ ये सर्दी’ ‘क्या जम जाएगी दिल्ली ‘ ‘सन्डे नहीं ठण्ड -डे ‘………….ये कुछ हेडलाइंस हैं -भारतीय न्यूज़ चैनलों की। वाकई इस बार सर्दी ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए। इस रिकॉर्ड-तोड़ सर्दी में मेरा भी एक रिकॉर्ड टूटा -मै दस दिनों तक घर से नहीं निकली। कल मेरी एक मित्र के कहने पर, उसके साथ मै एक बुटीक में गई। वहाँ का दृश्य बड़ा ही दिलचस्प था ……..बड़े से हॉल में सोफे पर दो-तीन सभ्रांत महिलाएं जमी हुई थीं .बीच में मेज़ पर कपड़े फैले हुए थे ,बुटीक मालकिन से उनका किसी ड्रेस की डिजाईन को लेकर डिस्कशन चल रहा था . गर्मागर्म चाय भी सर्व हो रही थी . हॉल के दूसरी ओर तीन-चार दर्ज़ी, मशीनों पर जुटे हुए थे,मास्टरजी कपड़ा नापने-जोखने में व्यस्त थे . मेरी मित्र को उन्हीं से काम था, तो वो उधर व्यस्त हो गई। तब तक मुझे भी चाय ऑफर की गयी ,इतने जाड़े में और क्या चाहिए ……सो, चाय की चुस्कियों के साथ मैंने अपने कान वहाँ चल रही चर्चा की ओर लगाये …….ध्यान से सुनने पर समझ में आया कि ,एक मोहतरमा के घर में इसी जनवरी में शादी है और वो यहाँ अपने कुत्ते गोल्डी की जैकेट सिलवाने आई हैं। कुत्ता क्योंकि fawn colour का है (सॉरी!उन्होंने ब्रीड नहीं बताई)इसलिए जैकेट dark-brown colour की ब्रोकेड की बनेगी, जाड़ा बहुत है,तो नीचे अस्तर लगा कर रुई भरी जाएगी। अस्तर सॉफ्ट होना चाहिए क्योंकि गोल्डी बड़ा ही सेंसिटिव है। हाँ जैकेट में घूँघरू भी लगेंगे।सच!मुझे बड़ा ही रश्क हुआ गोल्डी की किस्मत से ……….मैंने भी एक सलवार-सूट सिलने को दे ही दिया और हम दोनों सहेलियां अपने ‘हम-बुटीक गोल्डी की जैकेट’-विषय पर हँसते-बतियाते घर आ गए।कल रात स्वेटर,टोपा -मोजा ,पहने और ऊपर से शाल ओढ़ कर रजाई में बैठे-बैठे मैंने टीवी पर न्यूज़ देखी -‘उत्तर-भारत में सर्दी से 180 लोगों की मौत’. सोचने पर मजबूर हो गयी कि ,सर्दी से कोई इंसान कैसे मर सकता है और क्या कुत्ते को वाकई इतनी सर्दी लगती है कि उसे जैकेट पहननी पड़े………………………….
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