Menu
blogid : 14218 postid : 17

गुलाबी पर्स …………………….

man ki baat
man ki baat
  • 48 Posts
  • 375 Comments

पिछली दीवाली मैं घर के बसेमेंट में जाकर कुछ सामान उलट-पुलट रही थी तो एक बक्से में मुझे मम्मी(मेरी सास)का कुछ सामान मिला ,जिसमे एक गुलाबी पर्स भी था .मैंने वो पर्स बरसों पहले अपनी ससुराल में किसी बक्से में भी देखा था,पर उस दिन वो मुझे बड़ा प्यारा लगा और मै उसे वहां से उठा लाई.ऊपर आकर काम की व्यस्तता में मैंने उसे यूँही किचेन की टाइल्स पर लगे एक हुक में लटका दिया .दीवाली बीत गयी और वो पर्स मुझे वहीँ लटका अच्छा लगने लगा.क्यों कि पर्स गुलाबी था और किचेन की टाइल्स भी गुलाबी.कई लोगों ने उसे देख कर कहा भी कि,’बड़ा प्यारा पर्स है’,’ये तो handmade है’,’आजकल कहाँ ऐसी चीज़ें मिलती हैं’……वगैरह -वगैरह.फिर एक दिन मेरी ननद का मेरे घर आना हुआ.वो उस पर्स को देखते ही बोलीं ‘अरे ये पर्स तुम्हे कहाँ मिला? ये तो मम्मी का बड़ा ही प्रिय पर्स था .’उन्होंने बताया कि मम्मी घर- खर्च के पैसे में से कुछ बचा कर इसी पर्स में रखती थीं और हम भाई-बहनों की सुनी-अनसुनी मांगों को पूरा करती थीं.बात करते-करते वो भावुक हो गयीं. मेरे लिए वो पर्स इसलिए संग्रहणीय था क्योंकि वो मेरी सास की निशानी थी और अभी वो मेरे किचेन में लटका अच्छा लग रहा था पर किसी की भावनाएं भी उससे जुडी थीं ये मैंने उसी दिन जाना ,उसके बाद वो पर्स मुझे और भी अच्छा लगने लगा. बात छोटी मगर गूढ़ है………..अगर आप किसी की भावनाओं की कद्र करते हैं तो उससे जुडी हर बात, हर चीज़ हर व्यक्ति में आपको अच्छाई ही दिखेगी. वैसे कमी ढूँढने चलो तो एक ढूंढो हज़ार मिलती हैं.लिखने को बहुत कुछ है……… मगर बात छोटी ही अच्छी…..जाने से पहले बता दूँ कि उस रोज़ अपनी ननद के जाने के बाद मैंने भी चुपचाप कुछ सिक्के उस पर्स में डाल दिए.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply