Menu
blogid : 14218 postid : 579786

मेरे सपनों का भारत……

man ki baat
man ki baat
  • 48 Posts
  • 375 Comments

कल रात मैंने भी एक सपना देखा……….
मै सपने में सपने बुन रही हूँ ,खुशियों के फूल चुन रही हूँ।

आज बेटी ने घर आकर बोला ,माँ आज किसी ने मुझे नज़रों से नहीं तोला,
पति ने भी उसमे जोड़ा ,आज किसी ने यातायात नियम नहीं तोडा।
कामवाली भी खिली-खिली है ,आज सब्जी के साथ धनिया मुफ्त में मिली है।

मैं सपने में सपने बुन रही हूँ ,खुशियों के फूल चुन रही हूँ।

टीवी पर ख़बरें आ रही हैं ,सभी पार्टियाँ सुर में सुर मिला रही हैं ,
आज किसी अबला की अस्मत नहीं लुटी ,ना ही जंतर-मंतर पर भीड़ जुटी।
बात हो रही है ,सैनिकों के मान की ,नारी के सम्मान की और चर्चा है प्रगति के सोपान की।

मैं सपने में सपने बुन रही हूँ ,खुशियों के फूल चुन रही हूँ।

लोगों की सोच रही है बदल ,अब केवल धन ही नहीं है प्रबल ,
‘सत्य’ की हो रही है अब कद्र ,नेता सभी हो गए हैं अब भद्र।
उदय हो रहा है ,नए कल का सूरज , रंग ले ही आया हम सबका धीरज।

मैं सपने में सपने बुन रही हूँ ,खुशियों के फूल चुन रही हूँ।

काश ! कि , ये सपना कभी न टूटता……….

मैं जागी आँखों से’सच’ का सामना कर रही हूँ ,बेटी की भरी आँखें,पति की बेवज़ह झुंझलाहट,
नेताओं का दंगल ,सैनिकों का अपमान ,’दामिनी ‘ का लुटता सम्मान ,हर पल आतंक की आहट।
पर मैंने भी छोड़ी नहीं है आस ,है मन में यही विश्वास ,हम जिन्हें संजोते हैं ,सपने भी वही सच होते है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply