Menu
blogid : 14218 postid : 587479

एक बार फिर से तुम आओ हे !कान्हा ……

man ki baat
man ki baat
  • 48 Posts
  • 375 Comments

एक बार फिर से तुम आओ हे! कान्हा ,
बसे उर-आनंद वो बंसी बजाओ हे! कान्हा।

है चहुँ ओर पाप का वमन ,कर रहा असत्य, सत्य का शमन ,
करके दमन पापियों का ,कालिया के जैसे सबक तुम सिखाना।

एक बार फिर से तुम आओ हे! कान्हा ………

छल और कपट ये कैसी अगन , बसे हर मोड़ पर कंस और दुशासन।
करके पतन दुसाहसियों का ,हर द्रौपदी का चीर तुम बढ़ाना।

एक बार फिर से तुम आओ हे! कान्हा ………….

पाकर भी ये दुर्लभ जीवन ,भटक रहा मानव लिए व्याकुल मन।
खोले थे जिसने चक्षु अर्जुन के ,गीता का वही ज्ञान तुम सुनाना।

एक बार फिर से तुम आओ हे! कान्हा,
बसे उर-आनंद वो बंसी बजाओ हे! कान्हा।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply