man ki baat
- 48 Posts
- 375 Comments
यादें—–दो क्षणिकाएँ
स्मृति -पटल पर है अंकित
बचपन की यादों का कोलाज
वो माँ का आँचल,
पिता का साया
पेड़ पर चढ़ना
नंगे पाँव दौड़ना
वो उन्मुक्त ,बेपरवाह
साँसों की धक-धक
सुनाई देती है अब भी
कुछ तस्वीरें आज
मिटाना चाहती हूँ
पर बचपन की यादें
तो अमिट होती हैं ना ?
………………….
अक्सर आते हैं
अतीत के सागर से
कुछ उफ़ान
लाते हैं संग में
भूली यादों के
ज्वार -भाटे
मैं किनारे ही खड़ी
इंतज़ार करती हूँ
उनके लौट जाने का
मिल जाते हैं कुछ सीप
यादों के तुम्हारी
सहेज लेती हूँ
ज़ेहन में
गुज़रे पलों के मोती
Read Comments