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जुलाई का महीना लखनऊ में दशहरी आम का महीना होता है.जून में बारिश के बाद, जुलाई में दशहरी की मिठास….ये बरसों से मेरे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं.इस बार जून बीत गया ,ना के बराबर बारिश हुई.ठेलों पर दशहरी आम सज तो गए, पर सबके मन में एक ही शंका….क्या बिना बारिश के दशहरी मीठा होगा?दो चार दिन हम आमों में मिठास तलाशते रहे और जुलाई आते-आते दशहरी ,मिठास से लबरेज़ हो उठा.किसी ने कहा………बिना पानी गिरे इतनी मिठास?
देखिये बात छोटी मगर गूढ़ है….हम कितनी आसानी से अपने सहज स्वभाव को भूल जाते हैं. प्रतिकूल परिस्थितिओं में तो दूर ,हम कई बार सामान्यतः भी अपनी सहजता खो देते हैं. प्रकृति हमें पग-पग पर दर्पण दिखाती है. तो इस जुलाई लखनऊ का दशहरी आम हमारे मुँह में और जीवन में मिठास घोल रहा है ,साथ ही ये सन्देश भी दिलों तक पहुँचा रहा है कि,क्या हुआ गर पानी नहीं बरसा या कम बरसा हम अपनी मिठास क्यों छोड़ें ?
जाते -जाते दशहरी की शान में यही कहूँगी कि, “आमों में ‘आम’ नहीं ‘ख़ास’ है ये,सावन की पहली बारिश में जीवन का एहसास है ये.”
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