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जी हाँ! मुकेश अम्बानी G आ गए हैं ,टोकरी भर-भर के 4G डाटा लेकर। अब भरिये अपने-अपने फ़ोन में और हो जाईये गुम अंतरजाल की दुनिया में। पहले ही कौन सा ज़मीं ,आसमाँ और सितारों से दोस्ती थी। अब तो शायद घर के एक कमरे से दूसरे कमरे में बात भी वीडियो कॉल से होगी। दूरसंचार के क्षेत्र में निश्चय ही यह एक बड़ी क्रांति है। प्रधानमंत्री के डिजिटल भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम। पर क्या भारत में इसका सही उपयोग होने जा रहा है -शायद नहीं !रहने को छत नहीं ,शौचालय नहीं ,पर आज हर हाथ में फ़ोन है। परंतु ये स्थिति डिजिटल भारत के सपने को कितना सार्थक करती है -आप ही बताइये। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में 4G का खुला खज़ाना एक छलावा ही है। ये सच है कि ,बहुतों का जीवन इससे बदलेगा बेहतरी के लिए ,पर बहुतों के लिए ये G का जंजाल ही साबित होगा -ये तय है। जो भी हो मेरे लिए जी भर के जीने का मतलब है -सुबह ओस भरी दूब में चलना ,उगता और डूबता सूरज देखना ,पहाड़ों की स्थिरता को अपने अंदर समोना और सागर में उठती -गिरती लहरों को देख जीवन के सुख-दुःख में संतुलन कायम रखना। मगर इसके लिए 4G की ज़रुरत ही नहीं।
Posted by Preeti Srivastava at 10:37 PM
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